होली पर हिन्दी में निबंध || Essay of Holi in Hindi || होली क्यों मनाई जाती है

होली पर निबंध - Essay of Holi in Hindi

होली पर निबंध - Essay of Holi in Hindi

होली का त्योहार हिंदुओं का एक प्रमुख प्रसिद्ध त्योहार है यह त्योहार मार्च के महीने में मनाया जाता है और हिंदू लोग इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और यह त्यौहार किसान लोग भी बहुत ही खुशी से मनाते हैं इसलिए हम इसको किसानों का त्योहार भी कहते हैं होली के दिन बूढ़े बच्चे सभी एक-दूसरे पर गुलाल फेंकते हैं और बहुत ही खुशी मनाते हैं।

होली का इतिहास -

होली का त्यौहार तो सभी लोग मनाते हैं परंतु होली का इतिहास कोई कोई जानता है आज से कुछ सालों पहले यानी पुराने जमाने में एक हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था वह अपने आप को भगवान मानता था और किसी भी भगवान की पूजा नहीं करता था जो भी सेवक उसकी सेवा करता था वह उसको बोलता था कि तू मुझे भगवान मानेगा मुझे ईश्वर मानेगा हिना कश्यप का 1 पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद ईश्वर की भूत भक्ति करता था। हर समय वह ईश्वर का ही नाम जपता रहता था परंतु उसके पिता हिरण्यकश्यप ने उसे कहा कि तुझे ईश्वर की आराधना नहीं करनी परंतु अपने पिता की आराधना करनी है अपने पिता को ही भगवान मानना है। 

परंतु प्रह्लाद ने ऐसा नहीं किया प्रह्लाद भगवान विष्णु को ही अपना भगवान मानता था और उसकी ही पूजा किया करता था यह सब देख कर उसके पिता हिना कश्यप को बहुत ही गुस्सा आने लगा और उसने अपने पुत्र को मारने के लिए बहुत से उपाय किए कभी उसको ऊंचाई से नीचे गिरा दिया परंतु प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ क्योंकि उसके साथ भगवान विष्णु हैं और उसकी सच्ची आराधना है राजा हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम हो होलिका था और होलिका को वरदान था कि वह आग में कभी नहीं जलेगी अगर उसको आग में बिठा दिया जाए तो आग उसका कुछ भी नहीं कर सकती तो हिना कश्यप ने अपनी बहन को बुलाया और उसको प्रह्लाद को लेकर आग में बिठा दिया।

जैसे-जैसे आग तेज होती गई होलिका ने जलना शुरू कर दिया और सब कुछ उल्टा हो गया और हिरण्यकश्यप की बहन होलिका आग में जल गई और प्रह्लाद का कुछ भी नहीं हुआ। तो उस दिन से लेकर आज तक यह होली का त्यौहार होलिका के नाम पर मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है और इस दिन छोटे बच्चे बूढ़े एक दूसरे के ऊपर रंग सकते हैं और इस त्योहार को मनाते हैं भारत की कुछ जगह पर यह त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है लोग नाचते हैं गाते हैं गुलाल फेकते हैं रंग से भरी पिचकारी एक दूसरे के ऊपर फेंकते हैं। 30 दिन कोई भी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करता बल्कि सभी लोग इस त्यौहार को बड़े ही प्यार से मिलजुल कर मनाते हैं।

परंतु आज के समय में लोग शराब पीकर यह त्यौहार मनाते हैं कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं और कुछ लोग एक दिन नशे में चूर होकर लड़ाई झगड़े करते हैं और एक दूसरे को गालियां देते हैं यह बहुत गलत बात है यह हमारा हिंदुओं का त्यौहार है और हमें यह त्यौहार बड़े ही प्रेम प्यार से मिलकर मनाना चाहिए और ऐसे लोगों के कारण यह त्यौहार खराब हो जाता है।

इसलिए हमें यह त्यौहार बहुत ही प्रेम प्यार से मिलना चाहिए एक दूसरे के गले मिलकर यह त्यौहार मनाना चाहिए और जो लोग इस दिन शराब पीते हैं उन लोगों को शराब पीने से रोकना चाहिए।



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