पर्यावरण प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध || Environmental Pollution Essay in Hindi || Paryavaran Pardushan Par Nibandh
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध - Essay of Environmental Pollution in Hindi
पर्यावरण की परिभाषा -
पर्यावरण प्रदूषण को जानने से पहले हमें पर्यावरण की परिभाषा पता होनी चाहिए हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं उस पृथ्वी के चारों ओर अनेकों स्थान हैं जैसे कि जल , हवा , पेड़ - पौधे ,आकाश धरती इन सभी को मिलाकर एक हमारा हरा भरा पर्यावरण बनता है तो साधारण भाषा में हम कह सकते हैं हम सब को चारों तरफ से घेर लेने वाली चीज या घेर लेने वाली वस्तु ही पर्यावरण कहलाती है। अगर पर्यावरण ही ना होता तो मनुष्य का जीवन इस पृथ्वी रूपी ग्रह पर संभव नहीं है हमारी पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाती है उसकी परिक्रमा करती है अगर इस पर पर्यावरण नहीं होता तो यह एक भी जान ग्रह रह जाता।
प्रदूषण की परिभाषा -
हम जिस ग्रह पर रहते हैं उस ग्रह का नाम है पृथ्वी और पृथ्वी पर तीन तत्व मौजूद हैं जिसका हम सबसे ज्यादा प्रयोग करते हैं जिसमें से पहला तत्व है वायु, दूसरा तत्व है जल, तीसरा तत्व है धरती मिट्टी। एक मानव को अपना जीवन चलाने के लिए वायु और पानी की जरूरत होती है परंतु यह मानव उन सभी को दूषित करता जा रहा है अगर वायु में दूषित वायु जाएगी तो मानव दूषित हवा को अपने सांस के जरिए अपने शरीर के अंदर लेकर जाएगा और बीमार हो जाएगा और मानव को अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की क्षमता होती है अगर मानव उसी पानी को दूषित कर देगा तो वह दूषित पानी पीकर भी बीमार हो जाएगा ।
तो यहां से हमें पता चलता है कि इस पर्यावरण को दूषित करने में किसी और का नहीं सिर्फ मानव जाति का ही हाथ है परंतु मानव यह नहीं जानता कि जिस धरती पर वह रहता है उस पर रहने के लिए उससे पानी और हवा की आवश्यकता है अगर यही पानी हवा दूषित हो जाएंगे तो मुझसे जीवित नहीं रह सकता हाल ही में आप लोगों ने देखा होगा कॉविड महामारी यह महामारी भी प्रदूषण फैलाने से ही हुई है। अगर ऐसे ही प्रदूषण फैलता गया तो पूरी मानव जाति संकट में पड़ जाएगी ।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार -
पर्यावरण प्रदूषण चार प्रकार का होता है जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि (नॉइस) प्रदूषण।
वायु प्रदूषण -
वायु प्रदूषण हवा में फैलता है और इसको फैलाने में मानव जाति का ही हाथ है। हमारे देश में बड़े-बड़े कारखाने हैं कारखानों से निकलने वाला धुआं, वाहनों से निकलने वाला धुआं और आग से निकलने वाला धुआं यह सभी प्रकार के धुएं वायु को प्रदूषित करते हैं क्योंकि कारखानों से जहरीली गैसें निकलती हैं और अगर यह जहरीली गैसें वायु में मिल जाएंगे और मनुष्य को जीवित रहने के लिए हवा की जरूरत है और यही जहरीली हवा मनुष्य के शरीर में जाएगी और बीमारी का कारण बनेगी। तो यही सब कारण हैं जिससे वायु प्रदूषण फैलता है हमें वायु प्रदूषण को रोकना चाहिए जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहें और मानव जाति भी सुरक्षित रहे।
जल प्रदूषण-
पर्यावरण को दूषित करने के लिए जल प्रदूषण भी सबसे बड़ा कारण है क्योंकि हमारे भारत में बड़े बड़े कारखानों से निकलने वाला गंदा पानी ,घरों से निकलने वाला गंदा पानी, भी जल प्रदूषण का कारण बनता है यही जहरीला जल नदियों में जाकर मिलता है और नदियों से ही पानी धरती किस सतह तक पहुंचता है और धरती की सतह से ही जल मनुष्य तक पहुंचता है और यह जहरीला जल मनुष्य अगर पीता है तो बीमारी का कारण बनता है इसलिए हमें गंदे जल को नदियों में नहीं बहाना चाहिए क्योंकि यही जहरीला जल हमारे खेतों तक भी जाता है और हमारी फसलों को खराब करता है तो हमें चाहिए जहरीले जल को अलग से इकट्ठा किया जाए ताकि यह मानव जाति को नुकसान ना पहुंचाएं और हमारे पर्यावरण को खराब होने से भी बचाएं।
मृदा प्रदूषण -
मृदा प्रदूषण भी हमारे पर्यावरण को दूषित करता है बड़े-बड़े कारखाने और घरों से निकलने वाले गंद को हम मिट्टी में दबा देते है। और यही गंद मिट्टी में रहकर धीरे-धीरे धरती किस तरह तक पहुंच जाता है। और धरती की सतह से ही हमे पीने के लिए जल मिलता है वो भी दूषित हो जाता है और कई बार कुछ गंद ऐसा होता है जो मिट्टी मे नहीं गलता और हमारे खेतों तक पहुंच कर हमारी फसलों को खराब करता है। इसलिए हमें कारखानों से निकलने वाले गंध को अलग से इकट्ठा करना चाहिए धरती में नहीं दबाना चाहिए। यह सभी प्रयास करके ही हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।
ध्वनि (नॉइस) प्रदूषण -
ध्वनि भी एक प्रकार का प्रदूषण है जो कि पर्यावरण पर ज्यादा असर नहीं करता बल्कि मनुष्य जाति पर असर करता है और पशु, पक्षियों, जानवरों पर इसका असर होता है। क्योंकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जोर-जोर से गाने सुनते हैं तो वही शोर ध्वनि प्रदूषण का कारण बनता है। और ध्वनि प्रदूषण के कारण ही कई मानव के कानों में कई समस्याएं आ जाती हैं तो हमें जोर-जोर से गाने नहीं सुनने चाहिए जिससे हमारे कान भी ठीक रहेंगे और आसपास के पक्षियों ,जानवरों और लोगों को भी उसका नुकसान नहीं होगा ।यह सब करने से भी हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं।
अगर हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो इस पर रहने वाली मानव जाति भी सुरक्षित रहेगी और भारत सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण एक लोकप्रिय आंदोलन बना दिया गया है जो भी पर्यावरण प्रदूषण करेगा उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी इसलिए हमें चाहिए अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखें ताकि यहां पर रहने वाले जीव जंतु और मनुष्य जाति और आने वाली मनुष्य जाति ठीक रहे और अपने देश को दूषित होने से बचाने के लिए बच्चे, बड़े और बूढ़े को पूरा योगदान करना चाहिए।
वायु प्रदूषण होने से वायुमंडल मैं कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे विश्व में खतरा हो सकता है अगर वायु प्रदूषण हो जाए तो यह धरती के ऊपर बनी ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है अगर धरती के ऊपर बनी ओजोन परत खराब हो गई तो सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें मानव शरीर पर गिरेगी और जिससे कैंसर की बीमारी बढ़ जाएगी और कई बार पराबैंगनी किरणों से बहुत से जीव मृत्यु हो चुकी है और कुछ लोगो को नेत्र रोग हो सकता है।